Thursday, June 6, 2013

Ae pardanasheen chaand


रातों को ह्म भटकते हैं, नूर की तलाश में
वो आसमान का चाँद तो, कहकशां सितारों को बाँटता है

माना की ह्म वो अफ्सुर्दा नही
पर उस चाँद की हसरत का हमसे कोई परदा नही

फिर भी वो परदा नशीन बनता है हमसे
इस ज़माने की लुत्फ़ उठाने
पर जिस ज़माने की वो सोचता है
उसको अपने सिवा किसी और का कोई जज़्बा नही
आपने चाँद की हसरत का हमसे कोई परदा नही

रातों को ह्म भटकते हैं, नूर की तलाश में
वो आसमान का चाँद तो, कहकशां सितारों को बाँटता है

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