Wednesday, April 3, 2013

~ग़ज़ल~ अंजाने से चेहरे .....!!!!!


अंजाने से चेहरे हैं , अंजानी है ये राहें
चाहें भी तो क्या चाहें हम , जाएँ भी तो कहाँ जाएँ
एक जैसे अब दिखाई देते हैं
गम और खुशी की बौछारें
सब कुछ धुँधला रहा है
ह्म जाएँ तो कहाँ जाएँ


थामा था अभी हाथ ने , ज़िंदगी की चंद उंगलियों को
वो कसमे वादे यूँ कर गये , मेरी आदत पड़ गयी उन गलियों को
अब इन यतीम वादों की दुहाई में 
किस ओर ह्म उन्हे पुकारें
जाएँ भी तो कहाँ जाएँ
अंजानी है ये राहें


रुक-रुक के अब चलता हूँ , गिर-गिर के सम्हलता हूँ
फिर से ठोकर ना लग जाए , मैं आगे नही बढ़ता हूँ
मेरे सहमे से कदमों को , तेरी यादों के भंवर बांधें
अंजाने से चेहरे हैं , अंजानी है ये राहें
चाहें भी तो क्या चाहें हम
जाएँ भी तो कहाँ जाएँ


तुम सा क्यूँ दिखाई देता नही , हर शक्स का चेहरा
आँखों में हो मगर सामने आते नही , उफ़ ये ज़माने का पहरा
ह्म जाएँ भी तो कहाँ जाएँ
की वो नज़र आएँ
तन्हा काटे कटती नही
अकेली सी ये रातें


अंजाने से चेहरे हैं यहाँ , अंजानी है ये राहें
चाहें भी तो क्या चाहें हम , जाएँ भी तो कहाँ जाएँ
                        
                                     ~~~~~तस्कीन~ए~तिशनगी~~~~~

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